google.com, pub-5145004260852618, DIRECT, f08c47fec0942fa0 संस्कृत भाषा की संरचना (Structure)
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संस्कृत भाषा की संरचना (Structure)

संस्कृत भाषा की संरचना (Structure)


संस्कृत भाषा एक अत्यन्त व्यवस्थित, वैज्ञानिक और व्याकरण-संपन्न भाषा है। इसकी संरचना को मुख्यतः ध्वनि, शब्द, वाक्य तथा अर्थ स्तर पर देखा जा सकता है। संस्कृत भाषा की संरचना में इसके व्याकरण, ध्वनि प्रणाली और शब्दरूप में कई विशिष्ट विशेषताएँ हैं। इसकी ध्वनि प्रणाली वैज्ञानिक और समृद्ध है, जिसमें स्वर और व्यंजन की पर्याप्त विविधता है। शास्त्रीय संस्कृत में क्रियाओं के पाँच भाव होते हैं, जो वैदिक संस्कृत की तुलना में सरल किए गए हैं। संस्कृत की एक प्रमुख विशेषता 'सन्धि' (दो वर्णों का मेल) है, जिससे शब्दों के अर्थ में परिवर्तन आता है। इसमें एकवचन और बहुवचन के अतिरिक्त 'द्विवचन' भी होता है, जो इसे अन्य भाषाओं से अलग करता है।

1. ध्वन्यात्मक संरचना-

• संस्कृत वर्णमाला विश्व की सबसे व्यवस्थित वर्णमालाओं में से एक है।

• इसमें स्वर (अ, आ, इ, ई… आदि), व्यंजन (क, ख, ग… आदि) तथा अन्तःस्थ और ऊष्म ध्वनियाँ सम्मिलित हैं।

• वर्णमाला का क्रम उच्चारण स्थान (कण्ठ, तालु, मूर्धा, दन्त, ओष्ठ) के आधार पर व्यवस्थित है।

2. रूपात्मक (Morphological) संरचना-

• संस्कृत एक रूपान्तरिक भाषा (Inflectional Language) है।

• संस्कृत में शब्द मूलतः धातुओं (verbal roots) एवं प्रातिपदिकों (nominal bases) से बनते हैं।

• इसमें शब्दों का रूप लिंग, वचन, कारक, पुरुष और काल के अनुसार बदलता है।

• संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया आदि सभी के अलग-अलग रूपान्तरण होते हैं।

उदाहरण : रामः, रामौ, रामाः (एकवचन, द्विवचन,    बहुवचन)

3. वाक्य संरचना-

• संस्कृत वाक्य रचना में सामान्य क्रम कर्ता + कर्म + क्रिया होता है, परन्तु कारक-चिह्नों के कारण शब्द-क्रम लचीला है।

• वाक्य में क्रिया प्रायः अंत में आती है।

• उपवाक्य और समास के प्रयोग से वाक्य अधिक संक्षिप्त व गूढ़ बन जाते हैं।

4. अर्थात्मक संरचना-

• संस्कृत में प्रत्येक शब्द की व्युत्पत्ति किसी धातु से होती है।

• धातु से शब्द निर्माण होने के कारण अर्थ की गहराई व शुद्धता बनी रहती है।

• पाणिनि के अष्टाध्यायी में धातु-रूप और शब्द-निर्माण की वैज्ञानिक व्याख्या मिलती है।

* समृद्ध साहित्यिकता।

5. विशेषताएँ-

• ध्वनि और व्याकरण की दृष्टि से अत्यन्त वैज्ञानिक।

• समास, तद्धित, कृदन्त आदि के द्वारा नये शब्द निर्माण की क्षमता।

• अलंकारिक और काव्यात्मक प्रयोगों में सामर्थ्य।

इस प्रकार संस्कृत भाषा की संरचना अत्यन्त सुदृढ़, संगठित और वैज्ञानिक है, जिसके कारण इसे "देववाणी" कहा गया है। संस्कृत की स्पष्ट और तार्किक संरचना के कारण इसे कंप्यूटर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए एक अत्यंत उपयुक्त भाषा माना जाता है। 


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